Sep 25
आज कई इमेल
लिखने के तरीको के
बारे में सोचा
कुछ लिखे भी
कुछ सोये हुए वादों को
जगाने के लिए लिखे,
तो कुछ नए वादों को
पाने के लिए लिखे ,
पूरा दिन इधर उधर की
ताक-झाक में गया,
लोगों के ब्लॉग खगाले
कुछो पर अपने निशाँन छोड़े.
इंतजार किया
अपने इनबाक्स में
किसी एक उम्मीद का
जवाब तो नही आया
हाँ इमेल ज़रूर
बाउंस हो कर आ गया
उनके पते से,
सो उम्मीद जारी है
एक नए पते केलिए
एक नए
अपोइन्टमेन्ट के लिए
September 27th, 2008 at 3:18 pm
Good one sir… now you are again active after long silence.