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जिंदगी एक उत्सव है
इस उत्सव में
कई और उत्सव,
कभी नृत्य का
कभी संगीत का
कभी सुरों का,
हर उत्सव में रंग है
और रंगों का एक
उत्सव है
“होली ”
होली मुबारक
कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
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जिंदगी एक उत्सव है
इस उत्सव में
कई और उत्सव,
कभी नृत्य का
कभी संगीत का
कभी सुरों का,
हर उत्सव में रंग है
और रंगों का एक
उत्सव है
“होली ”
होली मुबारक
दोस्तो इत्तफ़ाक़ भी बड़ी अजब चीज है ज़िन्दगी मे
हुआ यू की मै राजनाथ कामथ जी के ऑफिस गया
कुछ काम के सिलशिले मे,
सर काफी बिजी थे फोन काल्स मे,
मै बैठा बैठा उनके ऑफिस इधर उधर देखने लगा
उनके व्यक्तित्व के रंगों को निहारने लगा,
बस यही हुआ एक इत्तफाक
कैमरा मेरे साथ था
आँखे बहुत कुछ पढ़ने लगी
अंगुलिया फोकस पुल करने लगी
ना tripod था ना dolly
ना jib ना extra light,
फ़ोन पर बातों का सिलशिला लम्बा चला
और मेरा aperture भी पूरा खुला,
एक कांसेप्ट जो मे कब से सोच रहा था
आज उसका जन्म हुआ
एक पोट्रेट कुछ अलग तरह का.
ये राज आज खुल गया
ये काम आज से चल गया
दोस्तो आपकी दुआ रही तो
तो होते रागे ऐसे इत्तफ़ाक़
ज़िन्दगी भर क़तरा क़तरा…
चित्र: नमन, देवीप्रसाद
एक माटी
एक कुम्हार
एक रचना
एक रचनाकार,
वक्त की धुरी पे घूमे
न जाने कितनी बार
ना कोई पड़ाव
ना कोई ठहराव
चलता गया
करता रहा सृजन.
सकोरे मे न समाजाये
बना शिल्पकार
दिया कई कुम्हारों को आकार
आज भी अपनी धुरी पे
ना है थमने को तैयार.
एक सृजन को
एक धुरी को
एक चाक को
नमन है नमन है नमन है
बार बार ….
वक्त की गागर में
जीवन के रंग घुल गए
हर तरफ
पंकज ही पंकज खिल गए.
एक दिन एक झौका आया
सब रंग धुल गए .
दिनरात एक हो गया;
आसमा काला
और कल्पना फिर हुई नयी
पंकज चाँद हो गया…
दोस्तों कल एक painting exhibition देखी और पढ़ा एक कलाकार के बारे में. 26/11 के हादसे में उनका मीत उनसे बिछड़ गया. जिंदगी थमती नहीं, वो फिर आगे बड़ी, चित्रकार बनी. ये जो भी मैंने कहा सब उनका है, पेटिंग भी उन्ही की है नाम है कल्पना शाह
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