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आओ एक खाब का सौदा करलें
हम अपने गमों को साथ-साथ जुदा करलें

वक्त के साथ-साथ धुल जायेंगे पुराने निशाँ
आओ नए सुखों को साझा करलें

रिश्ते बनते है बिगड़ते है पुराने होने के लिए
आओ इस मोड़ पे हम कुछ नया करलें

5 Responses to “कुछ नया करलें”

  1. pawan dhiman Says:

    अच्छी भावपूर्ण रचना.

  2. amit sharma Says:

    रचना के लिए ज़बरदस्त … फोटो के लिए और भी ज़बरदस्त … और एक सवाल ? ऐसे फोटो लेते कहाँ है आप ???

  3. ak gupta Says:

    good job don keep it up

  4. Yatish Says:

    अमित जी,
    हर चीज़ फोटोग्राफिक है, बस देखने की नज़र होनी चाहिए. वैसे ये मेरे घर के पास ही डिस्ट्रिक पार्क, सफ़दर जंग एन्कलेव, दिल्ली की फोटो है . और रही दूसरे स्पोट की बात तो मै कहूँगा.
    कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
    धन्यवाद,
    यतीष

  5. Rachana Dixit Says:

    रिश्ते बनते है बिगड़ते है पुराने होने के लिए
    आओ इस मोड़ पे हम कुछ नया करलें

    आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ बहुत लाज़वाब लगा मेहनत दिख रही है.रिश्तों की तो अमिट कहानी है टूट कर और भी तोड़ते हैं और मन को सालते हैं

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