एक बात अजब सी है रौशन ऐ जिंदगी में
ये चलती रफ़्ता रफ़्ता पर तेज़ सी दिखती है
आते है पड़ाव इतने पर रुकते कहाँ है हम
कुछ छूट सा जाता है हम जोड़ते रहते है
हर राह पे मुश्किल कुछ तनहा सी मिलती है
ये चलती रफ़्ता रफ़्ता पर तेज़ सी दिखती है
मोहताज़ है हम कितने इस वक्त के आईने में
हमको हम ही दिखाते है हम देखते रहते है
धुंधली सी कही इसमे उम्मीद सी खिलती है
ये चलती रफ़्ता रफ़्ता पर तेज़ सी दिखती है
खुशियों के ख्वाब से ही अँधेरा भी रौशन है
उम्मीद के बिछोने में सब जागते रहते है
ख्वाबों की एक दुनिया दिन मे भी तो सजती है
ये चलती रफ़्ता रफ़्ता पर तेज़ सी दिखती है
September 26th, 2008 at 2:54 pm
बहुत बढिया !!!
खुशियों के ख्वाब से ही अँधेरा भी रौशन है
उम्मीद के बिछोने में सब जागते रहते है
ख्वाबों की एक दुनिया दिन मे भी तो सजती है
ये चलती रफ़्ता रफ़्ता पर तेज़ सी दिखती है
October 12th, 2008 at 8:56 pm
खुशियों के ख्वाब से ही अँधेरा भी रौशन है
उम्मीद के बिछोने में सब जागते रहते है
अच्छी भावाभिव्यक्ति है। सुन्दर। किसी ने ठीक ही कहा है कि-
मेरी जिन्दगी एक मुसलसल सफर है।
जो मंजिल पे पहुँचे तो मंजिल बढा दी।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
http://www.manoramsuman.blogspot.com
March 17th, 2010 at 8:23 pm
BAHUT ACHCHE KYA KAHUN….KAMAL KA LIKHTE HO..
VISHNU
October 7th, 2010 at 2:09 pm
Kya khub likha hai aapne.
Kisi ne such hi kha hai
Ye jo jindagi ki kitab hai ye kitab v kya kitab,kahi ek hasin sa khwab hai kahi jan lewa azab hai.
October 7th, 2010 at 2:14 pm
Bahut accha likha hia apne
Jindagi se yahi gila hai mujhe
tu bahut der se mila hai mujhe