
आँख खुली तो सबसे पहली मुलाकात
एक रंग से हुई
और तब से
ये मुलाकातों का सिलसिला जारी है।
हम आये थे एक स्वच्छ – साफ़ – श्वेत
चेहरा लिए मन का,
रंगों ने दे दिए हमें अलग-अलग रूप, पेहचान,
ये रंग हैं वक्त के, व्यवहार के, व्यक्तित्व के।
हम जब भी कहीं देखते है,
एक नया रंग दिखता है।
ये चहरे है रंगों के
ये रंग है जिंदगी के।

आज साल २०११ है
इस शताब्दी का पहला
दो सामान नंबरों का साल,
दो बराबर वालों का साल.
कहते है
एक और एक दो होते है,
कहते है
एक और एक साथ हों
तो ग्यारह भी होते है.
आओ साथ मिलें,
वक्त के इस ११ वे साल में
१ और १
११ बनायें.
साथ निभाएं…
शुभकामनायें …
खुशियों का
कोई दिन नही होता,
जब चाहे मनाओ,
पर फुरसत कहाँ है
इस दौड़ धुप में,
तभी तो उपरवाले ने
त्यौहार बनाये है
हर मौसम में,
होली, दिवाली, ईद
और अब लो
आ गया क्रिसमस.
Merry Christmas
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यतीष जैन
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