नाम याद नहीं रहते
चेहरे बोलते है,
बोलती है उनकी परछाइयां ,
रोज़ कोई आता है
कोई चला जाता है,
ना जाने ये सिलसिला
कब से चालू है,
पर कोई अपनी
छाप छोड़ जाता है,
कोई याद रह जाता है,
दुनियां की इस भीड़ मे
क़तरा-क़तरा…

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