कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
आओ एक खाब का सौदा करलें हम अपने गमों को साथ-साथ जुदा करलें
वक्त के साथ-साथ धुल जायेंगे पुराने निशाँ आओ नए सुखों को साझा करलें
रिश्ते बनते है बिगड़ते है पुराने होने के लिए आओ इस मोड़ पे हम कुछ नया करलें
© 2020-2025 Qatra-Qatra क़तरा-क़तरा All Rights Reserved -- Copyright notice by Blog Copyright