सामने मेरे वो है जो दिखता मेरे जैसा है, मेरी आदतों में भी वो मेरे जैसा है.
वो हसीन है उम्मीदों से घिरा हुआ सपनो से है उसका दिल भरा हुआ, मै उसकी हर बात का क़ायल सा हो गया हूँ, मै आज उसका आइना सा हो गया हूँ.
उसकी उड़ान आसमानो से परे है उसके ख़ाब बदलो से घिरे है , मै उसके साथ हवा में खो गया हूँ, मै आज उसका आइना सा हो गया हूँ .
उसकी आँखों में कई मंज़िले झलकती है उसकी माथे की लाइनें रास्ते सी दिखती है, मै उसके सफ़र में साथी सा हो गया हूँ मै आज उसका आइना सा हो गया हूँ .
वो जहां भी जाता है वहाँ रास्ता बन जाता है वो जहां भी रुकता है वो ही मुक़ाम हो जाता है , मै उसका मील का पत्थर सा हो गया हूँ, मै आज उसका आइना सा हो गया हूँ .
वो जो बोले तो महफ़िल में समा बंध जाता है उसके होंठों से जो झरे वो अम्रत हो जाता है, मै उसकी वाणी का सानी सा हो गया हूँ , मै आज उसका आइना सा हो गया हूँ.
दोस्तो इत्तफ़ाक़ भी बड़ी अजब चीज है ज़िन्दगी मे
हुआ यू की मै राजनाथ कामथ जी के ऑफिस गया
कुछ काम के सिलशिले मे,
सर काफी बिजी थे फोन काल्स मे,
मै बैठा बैठा उनके ऑफिस इधर उधर देखने लगा
उनके व्यक्तित्व के रंगों को निहारने लगा,
बस यही हुआ एक इत्तफाक
कैमरा मेरे साथ था
आँखे बहुत कुछ पढ़ने लगी
अंगुलिया फोकस पुल करने लगी
ना tripod था ना dolly
ना jib ना extra light,
फ़ोन पर बातों का सिलशिला लम्बा चला
और मेरा aperture भी पूरा खुला,
एक कांसेप्ट जो मे कब से सोच रहा था
आज उसका जन्म हुआ
एक पोट्रेट कुछ अलग तरह का.
ये राज आज खुल गया
ये काम आज से चल गया
दोस्तो आपकी दुआ रही तो
तो होते रागे ऐसे इत्तफ़ाक़
ज़िन्दगी भर क़तरा क़तरा…