कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
रिश्तों ने रंग बदला तो रंगो के रंग उड़ गये Iजो रगों में दौड़ता था वो सफ़ेद हो गया,और जो सफ़ेद था उसमें रंग आ गये …रंग मुबारक
www.yatishjain.com
© 2020-2025 Qatra-Qatra क़तरा-क़तरा All Rights Reserved -- Copyright notice by Blog Copyright