राजनीति क्या है
नीति के द्वारा राज करना या
राज करने के लिए अपनी नीति बनाना,
चाहे वो कैसी भी हो
नैतिक या अनैतिक
पता नही.
हाँ इतना ज़रूर पता है
की आज राजनीति का शाब्दिक अर्थ
सिर्फ़ राज रह गया है,
नीति का अर्थ
किसी भी तरीके से इसे हासिल करना है,
साम्प्रदायिकता फैले तो फैले
लोग मरते है तो मरे
वोट नही मरना चाहिए,
जो जिस मज़हब की दुहाई देता है
वो उसी का शोषण करता है,
“नेता” शब्द अब
उल्टा हो गया है “ताने”
ताने देना अपने विपक्षियोँ को,
और ताने खीचना वादों की
मतदाताओं के सामने.
पहले इस सब में
सेवा, समर्पण, सुशासन जैसी
भावना प्रधान होती थी,
पर सुना है आज
भावना लापता है
प्रधान जी के साथ….
September 18th, 2008 at 1:01 am
वाह, भावना शब्द एवं अर्थ को लेकर क्या भावनापूर्ण एवं अर्थपूर्ण रचना की है आप ने !!
— शास्त्री
— ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसने अपने विकास के लिये अन्य लोगों की मदद न पाई हो, अत: कृपया रोज कम से कम 10 हिन्दी चिट्ठों पर टिप्पणी कर अन्य चिट्ठाकारों को जरूर प्रोत्साहित करें!! (सारथी: http://www.Sarathi.info)
September 20th, 2008 at 6:21 am
यतीश साहेब
बहूत पहले की लिखी अपनी एक ग़ज़ल आपकी कविता पढ़ कर जेहन मैं उभर आई….मुलाइजा फरमाइए…
कैसे कैसे अजब तमाशे भारत मैं
नेता घूमें ले कर कांसे* भारत मैं (कटोरा )
हिंदुस्तान की जागीर के यह पुश्तेनी हक़दार
लालू की राबड़ी,गांधी के नवासे भारत में
दो जून रोटी को तरसती भूखी जनता
नेता लुटाते वादों के बताशे भारत मैं
रिश्वतखोरों के कंधे पर निकला जनाज़ा-ए-वतन
नेता बजाते ढोल और ताशे भारत में
-मनोज कुरील
September 22nd, 2009 at 11:55 am
Это удивило меня.