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Kshamavani क्षमावाणी

रिश्तों में एहसास की गर्मी है 
तो रिश्ता जिन्दा है।
रिश्तों में आखों की शर्म है 
तो रिश्ता जिन्दा है।
रिश्तों में आपस की कदर है 
तो रिश्ता जिंदा है। 

पर आज रिश्तों में 
हिसाब आ गया है। 
आज रिश्तों में 
खिचाव आ गया है। 

जिंदगी अब भावों से नहीं 
भाव से चलती है 
जिंदगी की ट्रेन हर मोड़ पर 
पटरी बदलती है। 

आखों के पास का रिश्ता 
अब नज़र नहीं आता 
आखो से दूर है जो रिश्ता 
वही है भाता 

जिंदगी अब 
खेल हो गयी है,
रिश्तों की अहमियत 
बेमेल हो गयी है, 
कुछ कहा सुना हो 
माफ़ करना .
अपने मन मे मेरे लिए 
कुछ ना रखना ,
अपने से अपने को 
पहचान लो। 

जीवन मे वही होता है 
जो लिखा होता है ,
लिखने वाला भी कोई 
खुदा नहीं होता है ।
जिनवाणी में लिखा है,
तू खुदी का खुदा है। 
फिर तू क्यों 
दुसरों  से खफा है ।

जैसा करे है वैसा भरे है 
आने वाले समय से क्यों डरे है,
तेरा बोया तू खुद कटेगा ,
तेरा दुःख कोई नहीं बांटेगा। 
संभल जा। … 

तू अकेला है 
और अकेला ही रहेगा। 
तो डरना कैसा, सच बोल 
तेरी बात से ही है तेरा मोल। 

किसी का कुछ है मुझपर 
तो मांग लेना।

समय बलवान है सब दर्ज होता है 
अपने करे पर ही इंसान रोता है ।
पुराना हिसाब है जो, वो ख़त्म करता हूँ ,
गिले शिकवों का कर्ज भरता हूँ 

अब आगे का जिम्मेदार खुद बनता हूँ 
सबसे क्षमा सबको क्षमा करता हूँ ।

उत्तम क्षमा
मिच्छामि दुक्कडम 

— यतीष जैन 
www.yatishjain.com
www.qatraqatra.yatishjain.com

One Response to “Kshamavani क्षमावाणी”

  1. Shilpa jain Says:

    Very well said 👏 👍 👌
    Har shabd Mai boht kuch chupa hai bas hame uss par Gaur karna hai so thoughtful and meaningful 🙏🙏🙏👏👏👏

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