Mar 01
रोज नए रंग में मिलती है ज़िन्दगी
रोज रिश्ते नए रंग दिखाते है,
मेलजोल भाईचारा
सब रंगों में ही तो रमे है
रोज रंगते है हम
इन रंगों में,
रोज नए ढंग से
रंगती है जिंदगी
रोज एक होली होती है …
कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
रोज नए रंग में मिलती है ज़िन्दगी
रोज रिश्ते नए रंग दिखाते है,
मेलजोल भाईचारा
सब रंगों में ही तो रमे है
रोज रंगते है हम
इन रंगों में,
रोज नए ढंग से
रंगती है जिंदगी
रोज एक होली होती है …
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March 1st, 2010 at 6:25 pm
bahut khub
March 2nd, 2010 at 8:36 am
rang hi rang hai
agar dekho
indradhanush ke rang chipe nahin rehte
agar dekho
March 2nd, 2010 at 9:24 am
ashirvaad,
yathish ji recived your website
we are proud about your decative work
goodluck’happy asthnika parva
with blessings
swamiji
March 2nd, 2010 at 7:40 pm
Bhai apni zindgi to bahut monochromatic hai…kaash ye girgit ki tarah rang badalti…aur male jole toh ab sirf mail aur zhol tak hee reh gaya hai..;o)…baki lagta hai ki colour blindness hone lagi hai…
March 2nd, 2010 at 7:48 pm
Dear Manish
गिरगिट रंग बदलता नहीं है, रंग बदलना तो उसका स्वभाव होता है, फितरत होती है.
March 3rd, 2010 at 2:18 pm
मोहतरम संदीप कलसी की बात से में भी इत्तेफाक रखता हूँ..जिंदगी हर दिन एक होली है किसी के लिए स्याह रंग चुने है किस्मत ने,, तो किसी के मुक़द्दर में हसीन लबों की लाली,,रुखसार से गुलाबी,,रेशमी जुल्फों से सुन्हेंहरा और नकदी से हरे रंग के गुलाल आते है..कोई अपनी गुदड़ी में मुतमईन है तो कोई महलों में परेशां है.
बहरहाल यतीश भाई..एक कलाम के नज़रिए से आपका रंग जेहन में चढ़ गया है,,चुकी आपके कलाम में जिंदगी के रंग नज़र आते है.हम लोग तो महज जिंदगी को नज़रों से देखते है,मगर आप जैसा कवि जिंदगी को मुख्तलिफ चश्मों से देखता है.
-Manoj kureel