
आओ एक खाब का सौदा करलें
हम अपने गमों को साथ-साथ जुदा करलें
वक्त के साथ-साथ धुल जायेंगे पुराने निशाँ
आओ नए सुखों को साझा करलें
रिश्ते बनते है बिगड़ते है पुराने होने के लिए
आओ इस मोड़ पे हम कुछ नया करलें

एक दिन यूँ ही
ख्यालों की डोर थामे
निकलगया भरे आकाश मे,
भीग गया सपनों के बादल मे,
कुछ देर मे बादल छटे,
आसमां साफ हुआ,
डिम्पल पड़े थे
उम्मीदों के आकाश मे …

ऊचाई पे पहुचने पे
नीचे कुछ नहीं दिखता,
सिर्फ गहरे घने साये रह जाते है.
जिसमे दफ़्न हो जाते है सारे अतीत,
रौशनी आती जाती रहती है कभी-कभी
जो छेड़ देती है कुछ अहसासों को,
मुरझाती सी
मुस्कराती सी.
ऊचाइयाँ भी खुश
गहराइयाँ भी खुश
बस यही चलता है
ज़िन्दगी भर
क़तरा-क़तरा…

आज किसी ने ईमेल मे कहा
पेहचाना !
पहचान तो लिया था .
मेल सात समुन्दर पार से था,
नाम के पीछे कुछ और लगा था .
सालों का फासला सेकंडों मे तय हुआ
यादों का एक श्वेत केनवास उभरा
और धीरज धरे सबकुछ रंगने लगा.
हम 1992 मे थे अब
जहाँ से शुरू हुआ था
रंगों की दुनिया का सफ़र…

चित्र: नमन, देवीप्रसाद
एक माटी
एक कुम्हार
एक रचना
एक रचनाकार,
वक्त की धुरी पे घूमे
न जाने कितनी बार
ना कोई पड़ाव
ना कोई ठहराव
चलता गया
करता रहा सृजन.
सकोरे मे न समाजाये
बना शिल्पकार
दिया कई कुम्हारों को आकार
आज भी अपनी धुरी पे
ना है थमने को तैयार.
एक सृजन को
एक धुरी को
एक चाक को
नमन है नमन है नमन है
बार बार ….

वक्त की गागर में
जीवन के रंग घुल गए
हर तरफ
पंकज ही पंकज खिल गए.
एक दिन एक झौका आया
सब रंग धुल गए .
दिनरात एक हो गया;
आसमा काला
और कल्पना फिर हुई नयी
पंकज चाँद हो गया…
दोस्तों कल एक painting exhibition देखी और पढ़ा एक कलाकार के बारे में. 26/11 के हादसे में उनका मीत उनसे बिछड़ गया. जिंदगी थमती नहीं, वो फिर आगे बड़ी, चित्रकार बनी. ये जो भी मैंने कहा सब उनका है, पेटिंग भी उन्ही की है नाम है कल्पना शाह

उम्मीदें कुछ धुधली सी है
चमकती है
और
ओझल हो जाती है.
ना जाने कब थमेगा
ये सिलसिला.
पर कहीं ना कहीं
छिपी है वो
जो साथ देगी मेरा
एक दिन …

चहरे पे चेहरा
लगा कर घूम रहा हूँ
मै खुद को खुद से
छिपाकर घूम रहा हूँ .
मुद्दत हो गयी देखे
अपना अक्स,
ये कौन है सामने
मै हूँ या है कोई
और शक्स…

चाह कितनी तेज होती है
ना चेहरा देखा
ना बात की ,
पढ़ा कुछ अल्फाजों को
और छू गए दिल को,
एक लम्बी सॉँस ली
और सारा बदन सिहर गया.
ऐसा ही होता है
शब्दों का जादू
अच्छे लगे तो
सबकुछ अच्छा लगता है
बिन देखे
बिन जाने