आँख खुली तो सबसे पहली मुलाकात
एक रंग से हुई
और तब से
ये मुलाकातों का सिलसिला जारी है।
हम आये थे एक स्वच्छ – साफ़ – श्वेत
चेहरा लिए मन का,
रंगों ने दे दिए हमें अलग-अलग रूप, पेहचान,
ये रंग हैं वक्त के, व्यवहार के, व्यक्तित्व के।
हम जब भी कहीं देखते है,
एक नया रंग दिखता है।
ये चहरे है रंगों के
ये रंग है जिंदगी के।
फोटो ही तो जो याद दिलाते है
गुज़रे लम्हे एक फिल्म की तरह .
सबकुछ कितना fast rewind हो जाता है
आँख बंद करो तो .
एक-एक करेक्टर बोलने लगता है
कुछ echo sound में आवाजें सुनाई देने लगती हैं
कुछ गाने, कुछ संगीत .
फोटो जिन्दा हो जाता है ,
और जैसे ही आँख खुलती है
fast forward
हम आज में उसकी खुशबू ले रहे होते है
और ज़िन्दगी यू ही चलती रहती है
क़तरा-क़तरा
आखें पथरागयी है इंतजार मे
उन्होंने कहा था कल करूँगा.
ना कोई चिठ्ठी है, ना सन्देश
मुआ मोबाईल भी थक गया है
कहानिया सुन सुन के,
चेट पर हरी बत्ती जलती रहती है
चक्छु दोस होगया है मुझे
हरा, लाल दिखने लगा है
आज मन अंतर्मन की सुन रहा है
किसी ने कहा था ,
कल कभी नहीं आता
आज देख भी लिया,
कुछ कल के वादों की
वेटिंग भी ख़त्म हो गयी है
और ट्रेन जा चुकी है
कुछ का वजूद मिट गया है
और कुछ, कुछ ना कुछ की कगार पर है
मन करता है की
कैलाश पर चला जाऊ,
बर्फ की ठंडी चादर ओड़
एक कल बन जाऊ
जो कहता था
आज ही कर लो जो करना है
कल को किसने देखा है
जिंदगी आज में है क़तरा – क़तरा
नाम याद नहीं रहते
चेहरे बोलते है,
बोलती है उनकी परछाइयां ,
रोज़ कोई आता है
कोई चला जाता है,
ना जाने ये सिलसिला
कब से चालू है,
पर कोई अपनी
छाप छोड़ जाता है,
कोई याद रह जाता है,
दुनियां की इस भीड़ मे
क़तरा-क़तरा…
जो देखा वही पेश कर रहा हूँ ,
हुआ यूँ कि एक दोस्त ने बुलाया
अन्ना हजारे के अनसन पर,
मै पहुच गया
कुछ अच्छे शोट लेने के लिए,
Virtual Tour बनाना चाहता था,
पर जब मीडिया के माइकस ट्राईपोड पर
सुस्ता रहे थे,
लोगों के नारे वातावरण को झुमा रहे थे
बच्चों से लेकर बुड्डे गा रहे थे
कई बड़ी हस्तियाँ अन्ना के प्रति
अपना समर्थन जाता रही थी ,
नए युग कि एक नयी महक आ रही थी
कानो में एक जोशीला गीत सुनाई दिया
आखों ने कुछ और कैद करना शुरू किया
पैर वही थम गए
केमेरा अपने आप ही विडियो मोड़ पे आ गया
और फिर शुरु हो गया
नए शोट्स के इत्ताफकों का
नया सिलसिला क़तरा- क़तरा
सपनों की उड़ान बहुत ऊँची होती है
इतनी की हर उचाई छोटी पड़ जाती है
पर मन इसे देखना भूलता नहीं,
वो जाने अनजाने कोशिश करता रहता है ;
उसे पाने की
उसको जीने की,
बस एक कोशिश
क्यों की कोशिश से उसे कोई नहीं रोक सकता
चाहे वो छोटी ही क्यों ना हो.
दोस्तो इत्तफ़ाक़ भी बड़ी अजब चीज है ज़िन्दगी मे
हुआ यू की मै राजनाथ कामथ जी के ऑफिस गया
कुछ काम के सिलशिले मे,
सर काफी बिजी थे फोन काल्स मे,
मै बैठा बैठा उनके ऑफिस इधर उधर देखने लगा
उनके व्यक्तित्व के रंगों को निहारने लगा,
बस यही हुआ एक इत्तफाक
कैमरा मेरे साथ था
आँखे बहुत कुछ पढ़ने लगी
अंगुलिया फोकस पुल करने लगी
ना tripod था ना dolly
ना jib ना extra light,
फ़ोन पर बातों का सिलशिला लम्बा चला
और मेरा aperture भी पूरा खुला,
एक कांसेप्ट जो मे कब से सोच रहा था
आज उसका जन्म हुआ
एक पोट्रेट कुछ अलग तरह का.
ये राज आज खुल गया
ये काम आज से चल गया
दोस्तो आपकी दुआ रही तो
तो होते रागे ऐसे इत्तफ़ाक़
ज़िन्दगी भर क़तरा क़तरा…