Mar 18
रिश्तों ने रंग बदला
तो रंगो के रंग उड़ गये I
जो रगों में दौड़ता था
वो सफ़ेद हो गया,
और जो सफ़ेद था
उसमें रंग आ गये …
रंग मुबारक
कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
रिश्तों ने रंग बदला
तो रंगो के रंग उड़ गये I
जो रगों में दौड़ता था
वो सफ़ेद हो गया,
और जो सफ़ेद था
उसमें रंग आ गये …
रंग मुबारक
आँख खुली तो सबसे पहली मुलाकात
एक रंग से हुई
और तब से
ये मुलाकातों का सिलसिला जारी है।
हम आये थे एक स्वच्छ – साफ़ – श्वेत
चेहरा लिए मन का,
रंगों ने दे दिए हमें अलग-अलग रूप, पेहचान,
ये रंग हैं वक्त के, व्यवहार के, व्यक्तित्व के।
हम जब भी कहीं देखते है,
एक नया रंग दिखता है।
ये चहरे है रंगों के
ये रंग है जिंदगी के।
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