तुम समीर बन आए 
जल से मिलाये,
मै क्या कहूँ
समझ नहीं आता।

तुम भी जल
मै भी जल,
तुम नदी बन
समंदर में मिल गए; 
मै अभी बह रहा हूँ, 
इंतज़ार करना 
जल्द मिलूँगा …
– यतीष जैन
www.yatishjain.com
www.qatraqatra.yatishjain.com
www.kangen.yatishjain.com

© 2020-2024 Qatra-Qatra क़तरा-क़तरा All Rights Reserved -- Copyright notice by Blog Copyright