धन्यवाद भगवान, धन्यवाद कायनात
मै हूँ क्रतज्ञ इस बेला का जिससे दिन की शुरुआत हुई,
मेरे जीवन में ख़ुशियो की बहुतायता की बरसात हुई।
मैं हूँ कृतज्ञ इस श्रस्टी का जिसने मुझे माता पिता दिए ,
मेरी इक्छाओँ की पूर्ती के लिए उन्होंने जीवनभर काम किये।
मैं हूँ कृतज्ञ उन गुरुओ का जिन्होंने हमको ज्ञान दिया,
उन सभी शिक्छण संस्थानों का जिनपर हमने अभिमान किया.
मैं हूँ कृतज्ञ भाई बहनों का जिन्होंने इतना प्यार दिया,
जीवन के सुख दुःख में मेरे हरदम मेरा साथ दिया।
मैं हूँ कृतज्ञ अपनी पत्नी का जिससे मेरी परिपूर्णता है ,
सुख दुःख में उसने साथ दिया जिसमे मेरी सम्पूर्णता है।
मैं हूँ कृतज्ञ अपने बच्चो का जिसने हमको सौभाग्य दिया,
अपनी ममता पर नाज करे ऐसा हमको मान दिया।
मैं हूँ कृतज्ञ उन दोस्तों का जो हर हरदम साथ निभाते
हर मुश्किल हर विपदा में बिन बुलाये आ जाते है।
मैं हूँ कृतज्ञ उस समाज का जो हमको आश्रय देता है ,
अपने होने के वजूद से सारी चिंता हर लेता है।
मैं हूँ कृतज्ञ इस धरती का सूरज चंदा इस अम्बर का,
जिनके होने से प्रकृति में ऋतुओ का संचार हुआ।
मैं हूँ कृतज्ञ किसानो का ग्वालों का जो हमको भोजन देते है,
उन ट्रांसपोटरों का दुकानदारों का जिनसे हम ये सब लेते है।
मैं हूँ कृतज्ञ डॉक्टरों का स्वस्थ कर्मचारियों का हॉस्पिटल है जो हमको सेवा देते है,
उन दवा कंपनियों का, उपकरणों का जो हरदम तत्पर रहते है।
मैं हूँ कृतज्ञ पुलिस का सेना का सिक्योरिटी सिस्टम का जो हमको सुरक्छा देते है,
उनकी दिन रात की मेहनत से हम चैन की नींद सोते है।
मैं हूँ कृतज्ञ रिक्शा बस ट्रेन जहाजों का जो यातायात सुगम बनाते है
जिनकी दिनरात की तत्परता से हम कही भी आते जाते है।
मैं हूँ कृतज्ञ उन जाने अनजाने श्रोतो का जिससे मैं खुशहाल हुआ,
जिसने मेरी सम्पन्नता मैं अपना हर योगदान दिया।
मैं हूँ कृतज्ञ इस ग्रुप के हर मेंबर है जो सबको दुआए देता है,
हर परिस्थिति में प्रेयर करके सबके दुःख हर लेता है।
मैं हूँ कृतज्ञ मोनिका जी का जो हरदम राह दिखाती है,
मुझमेँ हीँ मेरी शक्ति का हर पल ध्यान कराती है।
मैं हूँ कृतज्ञ अपनी छमा का जो सबको छमा करता है,
और है विनती सबसे हाथ जोड़ की वो भी मुझको छमा करें।
धन्यवाद धन्यवाद धन्यवाद
धन्यवाद भगवान, धन्यवाद कायनात
कुछ इसतरह से शुरू हुई एक यात्रा,
जादू से लबालब
लबों पे सपने सजाये
खुशियों की फुलझड़ी छोड़ती .
संगी साथी भी बहुत है
जो घोलते है हवाओं में
एक जादुई अनुभव,
एक कहानी दूसरे के लिए
बन जाती है जुबानी,
और फिर जन्म लेती है
रोज एक कहानी।
कहानी ग्रेटिटूड की
कहानी ब्लेसिंग्स की
कहानी सपनों को पूरा करने की .
ये यात्रा नहीं
ये है ना रुकने वाली
“महायात्रा”
इरादों की …
वादों की ….
यात्रा जादू की।
संभावनाओ के बीज
उगाते है हम,
integrity जमी मिलजाए
और commitment का पानी
तो आसमा हमारा होगा।
enrollment में possibility
दिखाते है हम,
लोगो को opportunity दिख जाये
तो हवाओं का रुख
बदल जायेगा।
सबकी काबिलियत पे
ताली बजाते है हम ,
acknowledgment की
लडिया बनाते है हम,
हर किसी में
लीडर जागते है हम
क़तरा -क़तरा
चित्र: नमन, देवीप्रसाद
एक माटी
एक कुम्हार
एक रचना
एक रचनाकार,
वक्त की धुरी पे घूमे
न जाने कितनी बार
ना कोई पड़ाव
ना कोई ठहराव
चलता गया
करता रहा सृजन.
सकोरे मे न समाजाये
बना शिल्पकार
दिया कई कुम्हारों को आकार
आज भी अपनी धुरी पे
ना है थमने को तैयार.
एक सृजन को
एक धुरी को
एक चाक को
नमन है नमन है नमन है
बार बार ….
सब कहते है
अच्छा काम करो,
कुछ नया सोचो,
एक मिशाल कायम करो.
बोस भी कुछ यही कहता है,
आप क्या बेहतर कर सकते हो…
पर
कुछ करने चलो
तो वही ढाक के तीन पात.
अच्छा करने को
प्रेरित करने वाले ही
दीवार बन जाते है,
मिशाल; मिशाइल की तरह
दिल को भेदती है और
एक गुबार उठता है,
एक आवाज आती है,
सब बातें किताबी है
और किताब बिकती है ,
बातों का क्या
बतियाते रहो…
धीरे धीरे वक्त गुज़रेगा,
इल्जामातों के दौर चलेंगे ,
एक दूसरे पर आरोप लगेंगे,
पब्लिक की प्रतिक्रिया होगी,
देश विदेश में सलाह मशवरा होगा,
राजनीती को एक और
मुद्दा मिल जायेगा,
समाचार कंपनियों को
कई दिनों के लिए
मसाला मिल जायेगा,
कुछ NGO का
काम बड़ जाएगा,
पूरी दुनिया
सबूतों और सुझावों का
बहुत बड़ा
आकड़ा तैयार करेगी,
बुद्धिजीवी बड़ी बड़ी
बहस करेंगे,
कानून और संविधान
में बदलाव होंगे,
कई नए घोटालों के लिए
बजट बनेंगे
सब लोग अपनी तरह से
अपनी रोटियां सकेंगे.
बस एक चीज है जो लोग
खुली आँख से भी
नही देखेंगे.
वों जो विश्व पर कलंक है,
जिसका किसी मज़हब में,
किसी शिक्षा मे
किसी संस्कार मे
किसी भी रूप मे
कोई स्थान नही है.
आतंकवाद
क्या फायदा पड़े लिखे होने का
६०० साल पहले किसी ने सही कहा है.
पोथी पढ-पढ जग मुआ, पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय…
आज मन ले गया कुछ नयी किताबों के बीच,
जहाँ नए सिद्धांतों के अम्बार लगे थे,
जो कह रहे थे नए ज़माने में सफल होने की तरकीबें .
एक पन्ना कह रहा था
बॉस पर विश्वास मत करो
वह कभी आपको आगे नही पहुँचायेगा
एक पन्ना कह रहा था
अपने हुनर का ज्यादा प्रदर्शन मत करो
छोटे बड़े सबको जलन होती है
एक पन्ना कह रहा था
लोगों को अपने ऊपर निर्भर बनाओ,
दूसरों के दिलो दिमाग पर काम करो,
दोस्तों पर विश्वास कभी मत करो,
अपने दुश्मन को जड़ से उखाड़ फेको.
लगा जैसे ये सब तो मै देख चुका हूँ,
पिछ्ले कुछ सालों में अपने आस-पास.
अब दिमाग चकरा गया ,
मेरे गुरुओं ने शिक्षा दी थी
चीजों को इतना आसान कर दो
कि कोई भी कह उठे
अरे यह तो मै भी कर लेता
किसी को मत काटो
बड़ा बनाना है तो
किसी लाइन के साथ बड़ी लाइन खीच दो
काम को सहज करो
अपना विचार दूसरों का बनादो,
लोगों को प्रोत्साहित करो.
अब असमंजस मै हूँ
किसे मानू इस गिरगिट की तरह
रंग बदलती दुनिया मे,
जहाँ कमेटमेन्ट नाम की
कोई चीज नही है
फ़िर वो कोई छोटे ओहदे वाला करे
या बड़े ओहदे वाला.
द्रौण ने अर्जुन को बनाया, अर्जुन ने द्रौण को,
गुरू ने शिक्षा दी और मिशाल बनाई,
की गुरू तभी गुरू होता है
जब शिष्य उससे आगे निकल जाये,
कुछ उससे बड़ा कर दिखाये.
पर आज
कहाँ है ऐसे द्रौण
कहाँ है ऐसे अर्जुन
कहाँ है ऎसी कोख
जिनसे ये पैदा हो सके.
शिक्षा अब बाज़ार मे
बिकने वाली चीज हो गयी है,
काबिलियत
कागज़ पे लगा एक ठप्पा,
गले मे लटकता एक तमगा.
दुकाने सजी है गुरुओ की,
अब शिष्यों की भी.
गुरू अब गुरू नही पेड सर्वेंट हो गया है
शिष्य उसे जब चाहे बदलता है.
शिष्य अब शिष्य नही
भेदो के झुंड है,
जहाँ गुरुओं की संस्थाएं उन्हें चुनती है.
गुरू में गुरूर है अब
शिष्य में क्या शेष है अब
पता नही
शिक्षा अब उस भिक्षा की तरह है
जिसे कोई भी ले दे सकता है
पर इसमे कितनी सुशिक्षा है
सब जानते है.
सब कुछ बदल गया है
पर ये सच है
द्रौण और अर्जुन नही रहे
पर ये भी सच है
आज भी पैदा होते है
ऐसे लोग
जो बनते है अपने बुते पे,
सामने आदर्श का बुत रखके,
हां एकलव्य आज भी पैदा होते है
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