कहाँ है स्वतंत्र हम आज रो रही है भारत माता, अपने ही लोगों का खुले आम क़त्ल हो जाता। हिंदू सनातन कहते हो कहाँ के तुम हिंदू हो, जो हो रहा अपनों के साथ उसके केंद्र बिंदु हो ।
सबका खून खौलता है, तुम्हारा पानी हो जाता है । तुम्हारे सामने तुम्हारे भाई का, सीना छलनी हो जाता है।
आकर मोहल्ले में तुम्हारे, कोई अधिकार छीनता है। तुममें ही है ग़द्दार, आसानी से बीनता है ।
क्या करोगे झंडा उठाके, डंडा तुममें पड़ चुका है। अयोध्या भी चली गई, अब क्या तुम्हारे पास बचा है ।
कहाँ हो स्वतंत्र तुम, तुमसे वोट दिया नहीं जाता है । इसी लिये बंदर आके, तुम्हारी रोटी खाता है ।
स्वतंत्रता स्वतंत्रता करके तुम, अपने नक़्शे पर शरणार्थी बन जाओगे। अगर आज तुम सब, वोट देने की क़सम नहीं खाओगे।
आज़ादी का जश्न तभी सफल हो पाएगा, 100% वोट देकर लोकतंत्र जब आएगा।
जो देखा वही पेश कर रहा हूँ ,
हुआ यूँ कि एक दोस्त ने बुलाया
अन्ना हजारे के अनसन पर,
मै पहुच गया
कुछ अच्छे शोट लेने के लिए,
Virtual Tour बनाना चाहता था,
पर जब मीडिया के माइकस ट्राईपोड पर
सुस्ता रहे थे,
लोगों के नारे वातावरण को झुमा रहे थे
बच्चों से लेकर बुड्डे गा रहे थे
कई बड़ी हस्तियाँ अन्ना के प्रति
अपना समर्थन जाता रही थी ,
नए युग कि एक नयी महक आ रही थी
कानो में एक जोशीला गीत सुनाई दिया
आखों ने कुछ और कैद करना शुरू किया
पैर वही थम गए
केमेरा अपने आप ही विडियो मोड़ पे आ गया
और फिर शुरु हो गया
नए शोट्स के इत्ताफकों का
नया सिलसिला क़तरा- क़तरा
धीरे धीरे वक्त गुज़रेगा,
इल्जामातों के दौर चलेंगे ,
एक दूसरे पर आरोप लगेंगे,
पब्लिक की प्रतिक्रिया होगी,
देश विदेश में सलाह मशवरा होगा,
राजनीती को एक और
मुद्दा मिल जायेगा,
समाचार कंपनियों को
कई दिनों के लिए
मसाला मिल जायेगा,
कुछ NGO का
काम बड़ जाएगा,
पूरी दुनिया
सबूतों और सुझावों का
बहुत बड़ा
आकड़ा तैयार करेगी,
बुद्धिजीवी बड़ी बड़ी
बहस करेंगे,
कानून और संविधान
में बदलाव होंगे,
कई नए घोटालों के लिए
बजट बनेंगे
सब लोग अपनी तरह से
अपनी रोटियां सकेंगे.
बस एक चीज है जो लोग
खुली आँख से भी
नही देखेंगे.
वों जो विश्व पर कलंक है,
जिसका किसी मज़हब में,
किसी शिक्षा मे
किसी संस्कार मे
किसी भी रूप मे
कोई स्थान नही है. आतंकवाद
क्या फायदा पड़े लिखे होने का
६०० साल पहले किसी ने सही कहा है.
पोथी पढ-पढ जग मुआ, पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय…