Sep 24
नाम याद नहीं रहते
चेहरे बोलते है,
बोलती है उनकी परछाइयां ,
रोज़ कोई आता है
कोई चला जाता है,
ना जाने ये सिलसिला
कब से चालू है,
पर कोई अपनी
छाप छोड़ जाता है,
कोई याद रह जाता है,
दुनियां की इस भीड़ मे
क़तरा-क़तरा…
September 28th, 2011 at 8:58 pm
*Applaud*
September 30th, 2011 at 6:28 pm
कोई याद रह जाता है,
दुनियां की इस भीड़ मे
क़तरा-क़तरा… सौ फीसदी सच है…