वसुधैव कुटुंबकम तुम कहते हो और किस कुटुंब में रहते हो,
अपने घर में साप पाल के दूध पिलाते रहते हो।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई तुम तो एक मानते हो,
हिंदू कितना पिसता है पड़ोस के देश में क्या तुम जानते हो ।
तुमने सबको मान दिया अपने घर स्थान दिया,
पर पड़ोसियों ने तुम्हारे भाइयों के साथ क्या किया।
उनका खून खौलता है तुम्हारा पानी हो जाता है,
जब कभी बंगला देश पाकिस्तान में अपनों घर जलाया जाता है।
उनकी राजनीति में सिर्फ़ उनकी जात को स्थान है,
हमारी राजनीतिक में हम ही उनके दलाल है।
उनके ऊपर यहां कुछ हो तो राहुल अखिलेश चिल्लाते है,
और वहाँ कुछ हो हम पर ये पहले बिल में छुप जाते है।
ममता दीदी की ममता भी घुसपैठियों पर बरसती है,
अपने देश की जनता अपने हक़ को तरसती है।
लालू के आलुओं ने हमेशा चुप्पी साधी है,
जब जब बंगला देश पाकिस्तान में हमारी हुई बर्बादी है।
केजरी की क्या कहे अब मोहम्मद केजीरिद्दीन बनना बाक़ी है,
मंदिरों को नहीं देता अनुदान पर वहाँ ख़ैरातों की झांकी है।
टैक्स भरे कोई और पलता कोई और है,
सनातनियों के खून में अब नहीं रहा कोई जोर है।
तुमरी हरकत देख के राम ने भी तुम्हारा छोड़ा हाथ है,
बजरंगबली भी जाएँगे और कृष्ण भी नहीं रहेंगे साथ है।
कब जागोगे जब तुम अपने नक़्शे पर तुम शरणार्थी बन जाओगे,
अगर आज तुम परदेश में अपनों के काम ना आओगे।
नेता तो अपने देश में अपनी रोटी सेकते है,
जब ज़रूरत होती है उनकी,
सिर्फ़ जुमले फेकते है ।
हम है परतंत्र नेता बन गये है आका हमारे,
लाना होगा अपने में से किसी को जो काम सवारे।
जो करे धर्म की रक्षा और देश निर्माण हमारा,
तभी होगा असली स्वतंत्रता दिवस हमारा ।