कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
जिंदगी, उम्र, रिश्ते, वक़्त, सब ताने-बाने है।
वो जो एक है ; वो हम है। जो हमेशा एक और अकेले ही रुखसत होंगे।
वाह! क्या बात कही है!!
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
अनेक शुभकामनाएँ.
The bitter truth … portrayed very nicely! Good… Good… Good
You have given a very big message of life in few lines… Good one… keep it up…
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March 23rd, 2010 at 8:16 am
वाह! क्या बात कही है!!
हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!
अनेक शुभकामनाएँ.
March 23rd, 2010 at 10:11 am
The bitter truth … portrayed very nicely!
Good… Good… Good
March 23rd, 2010 at 11:57 am
You have given a very big message of life in few lines… Good one… keep it up…