Nov 26
आयीं है उम्मीदे
आया है वक्त फिर दोहराने,
आयी है दस्तक इन्साफ की
और
आयीं है रहें देखने
अपने चाहने वालों की
इन्साफ की डगर पे
जीत-हार
या
उपहार
कभी अजनबी सी कभी जानी पेहचानी सी, ज़िंदगी रोज़ मिलती है क़तरा-क़तरा…
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